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* गांव में भी मनाई गई संत रविदास जयंती *

*संत रविदास जयंती मनाई।*
सागर गढ़ाकोटा से राजेंद्र साहू की रिपोर्ट

ग्राम केंकरा में सरस्वती शिशु मंदिर के वरिष्ठ आचार्यों एवं रामायण मंडल केंकरा द्वारा संत रविदास जयंती धूमधाम के साथ मनाई। गांव में बने रविदास मंदिर में संत रविदास जी की दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा अर्चना की गयी। फिर एक कर ग्रामवासियों ने संत रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला। सरस्वती शिशु मंदिर के वरिष्ठ आचार्य श्री दीनदयाल पटेल और श्री राजेन्द्र नाथ साहू जी ने बताया कि संत रविदास बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। वे भक्तिकालीन संत और महान समाज सुधारक थे। उन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ-साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। रामायण मंडल संयोजक श्री रमेश कठोंदया ने संत रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत शिरोमणि कवि रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम कर्मा देवी (कलसा) तथा पिता का नाम संतोख दास (रग्घु) था। उनके दादा का नाम श्री कालूराम जी, दादी का नाम श्रीमती लखपती जी, पत्नी का नाम श्रीमती लोनाजी और पुत्र का नाम श्रीविजय दास जी है। रविदासजी चर्मकार कुल से होने के कारण वे जूते बनाते थे। ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लगन तथा परिश्रम से अपना कार्य करते थे।
संत रविदास जी के पिता का नाम संतोखदास (रग्घु) और माता का नाम करमा देवी (कलसा) था। वहीं उनकी पत्नी का नाम लोना और पुत्र का नाम श्रीविजयदास था। गांव के बुजुर्ग संत रविदास मंदिर के पुजारी श्री सरमन अहिरवार ने बताया कि संत रविदास जी अपना अधिकांश समय भगवान की पूजा में लगाते थे और धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए, उन्होंने एक संत का दर्जा प्राप्त किया। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ रविदास जी का ये दोहा आज भी प्रसिद्ध है। कार्यक्रम के समापन पर बिरजू अहिरवार ने सभी का आभार व्यक्त किया और बताया रविदास जी का कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए काम का हमेशा अच्छा परिणाम मिलता है। कार्यक्रम में सरस्वती शिशु मंदिर से आए आचार्यों में जीवन लाल पटेल,राजेश शुक्ला, हरिनारायण गुप्ता के साथ साथ गाँव के अनेक गणमान्य नागरिक सम्मिलित हुए।

AKHAND BHARAT NEWS

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